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लेखनी कहानी -26-Nov-2022 सुनो, मुझे भगाकर ले जाओ ना

"सुनो" 
"कहो" 
"हम ऐसे कब तक मिलते रहेंगे" ? 
"जब तक तुम्हारे मम्मी पापा हमारे विवाह के लिए हां नहीं कह देते" 
"वो तो कभी नहीं कहेंगे । मैं उन्हें जानती हूं । वो हमारी शादी के विरुद्ध हैं । क्या हम ऐसे ही चोरी चोरी मिलते रहेंगे या कभी सीना तान कर साथ साथ भी चल सकेंगे" ? 
"जरूर चलेंगे । थोड़ा संयम रखो नीलू । मम्मी पापा को अभी और समय चाहिए । आखिर वो अपनी बेटी का हाथ ऐसे कैसे किसी के हाथ में दे दें ? इसके लिए विश्वास की आवश्यकता होती है । वो विश्वास जो उन्हें चाहिए मैं अभी तक अर्जित नहीं कर पाया हूं । इसमें कमजोरी उनकी नहीं बल्कि मेरी ही है । मुझे और अधिक प्रयास करने होंगे"। 

"मुझे कुछ नहीं पता । पांच साल हो गये हैं हमको ऐसे ही मिलते मिलते । अब और सहा नहीं जाता है मुझसे । एक दिन मैं घर से भागकर तुम्हारे पास आ जाऊंगी , तब तुम क्या करोगे ? सुनो, मुझे भगाकर कहीं ले चलो ना" ?

नीलू के इन शब्दों पर रवि एकदम से चौंक गया । चिंतित होते हुए बोला "ये क्या कह रही हो नीलू ?  क्या विवाह से पहले मेरे साथ रहना ठीक रहेगा" ? 
"क्यों नहीं ? आजकल तो सुप्रीम कोर्ट ने भी "लिव इन" की इजाजत दे दी है तो फिर क्या दिक्कत है" ? नीलू रवि के सीने पर सिर टिका कर बोली । 
"क्या तुम्हें मेरे साथ रहने में जरा सा भी डर नहीं लगेगा" ? 

अबकी बार नीलू ने रवि को आश्चर्य से देखा "क्यों लगेगा आपसे डर ? आप कोई भूत प्रेत हैं क्या" ? 
"मैं एक अजनबी लड़का हूं और तुम अपने मम्मी पापा को छोड़कर मेरे साथ रहोगी तो स्वाभाविक रूप से डर लगना चाहिए तुम्हें।  क्यों है ना" ? 
"तुम और अजनबी ? मैं तुम्हारी रग रग जानती हूं" वह हंसते हुए बोली । 
"एक बात बताओ नीलू, अभी पांच दस दिन पहले किसी श्रद्धा को उसके प्रेमी आफताब ने मार डाला था । अखबारों में पढा था कि उसके 35 टुकड़े किये थे । वह भी लिव इन में रह रही थी , फिर भी तुम मेरे साथ लिव इन में रहना चाहोगी" ? 
"हां , क्यों नहीं । मैं तुम्हें अच्छी तरह जानती हूं इसलिए मुझे कोई डर नहीं है । दूसरी बात यह है कि हर प्रेमी आफताब नहीं होता है । अब बताओ , कल आ जाऊं तुम्हारे घर" ? 
"अरे नहीं नहीं । मैं "लिव इन कल्चर" में विश्वास नहीं करता हूं । तुम सत्य जानो , मैं तुम्हारे मम्मी पापा के आशीर्वाद के पश्चात ही तुमसे विवाह करूंगा, इससे पहले नहीं । देखो, रात बहुत हो चुकी है , अब तुम जाओ । और हां कल आठ बजे आना । कल मेरा ओ टी है, थोड़ी देर लग जायेगी" । 
"कैसे हो न ? लोग तो अपनी प्रेमिका के आगे मिन्नतें करते रहते हैं और रुकने की , मगर यहां तो माशूका को ही भगाया जा रहा है । पत्थर दिल" 
"पत्थर दिल , निर्दयी कुछ भी कह लो पर अब तुम जाओ । तुम्हारे मम्मी पापा तुम्हारी कितनी चिंता कर रहे होंगे ? उन्हें परेशान करना भी कोई अच्छा काम है क्या" ? रवि ने नीलू की आंखों में देखकर कहा । 
"कितने अच्छे हो तुम, रवि । दिल तो नहीं करता है तुम्हें छोड़कर जाने का पर मजबूरी है क्योंकि तुम बहुत "संस्कारी" हो और शादी से पहले मुझे साथ रखोगे नहीं । तो अभी मैं चलती हूं । पर जनाब, मेरे मम्मी पापा को जल्दी पटा लेना नहीं तो फिर देख लेना" ? उंगली दिखाते हुए नीलू बोल पड़ी । रवि मुस्कुरा कर रह गया । 
अगले दिन रवि सो ही रहा था कि मोबाइल बज उठा । नीलू की घबराई हुई आवाज आई "रवि, पता नहीं पापा को क्या हो गया है , बेहोश हो गये हैं वे" । 
"तुम चिंता मत करो , मैं अभी पांच मिनट में पहुंचता हूं । तब तक तुम अस्पताल चलने की तैयारी करो" ? 
रवि ने अपने अस्पताल फोन कर एम्बुलेंस बुलवा ली और कॉर्डियोलोजिस्ट को अस्पताल पहुंचने के लिए कह दिया । 
थोड़ी देर में रवि नीलू के घर पहुंच गया । नीलू घबराई हुई थी । उसकी मम्मी रोये जा रही थी और उसके पापा बेहोश पड़े थे" 
रवि ने उन्हें जमीन पर लिटा दिया और जोर जोर से पंपिंग करने लगा । करीब दस मिनट के प्रयास से उनकी सांसें चलने लग गई । इतनी देर में ऐंबुलेंस आ गयी और नीलू के पापा को अस्पताल ले गई  । नीलू का भाई आशु बाहर गया हुआ था । 
अस्पताल में कॉर्डियोलोजिस्ट डॉक्टर पाठक ऐलर्ट थे । जैसे ही मरीज की ई सी जी वगैरह हुई तो यह स्पष्ट हो गया कि उन्हें "सीवर कॉर्डियक अटैक" पड़ा था मगर रवि द्वारा दिये गये प्राथमिक उपचार से वे बच गये थे । 
डॉक्टर पाठक ने ऑपरेशन की पूरी तैयारी कर रखी थी । "बाईपास सर्जरी" के अलावा और कोई विकल्प नहीं था । रवि ने ऑपरेशन के समय यथासंभव मदद भी की थी । ऑपरेशन के दौरान नीलू और उसकी मम्मी दोनों ही बुरी तरह से घबरा रही थीं मगर रवि ने दोनों को संभाल लिया था । 
चार दिन अस्पताल में रहने के बाद वे लोग घर आ गये । तब तक आशु भी आ चुका था । नीलू के मम्मी पापा ने रवि को इस बार बहुत करीब से देखा था । वे दोनों रवि की सादगी और उसकी संवेदनशीलता पर रीझ गये थे । आज अगर नीलू के पापा जिंदा हैं तो केवल रवि की बदौलत । नीलू के मम्मी पापा रवि को पाकर आनंदित हो गये थे । 
अब किसी को कुछ कहने सुनने की आवश्यकता नहीं थी । जब रवि नीलू के घर से जाने के लिए निकलने लगा तो नीलू के पापा ने कहा "जरा ठहरो बरखुरदार , ऐसी भी क्या जल्दी है" ? 
उन्होंने नीलू को अपने पास बुलवाया और उसका हाथ रवि के हाथ में पकड़ा कर कहा "अब जाओ दोनों । सदा सुखी रहो । अपनी मम्मी से भी आशीर्वाद ले लेना" । 
रवि के चेहरे पर मुस्कान आ गई । उसने नीलू की मम्मी और पापा से आशीर्वाद लिया और कहा "पापा, मैं थोड़े पुराने खयालों का आदमी हूं , बिना विवाह के नीलू को यहां से नहीं ले जाऊंगा" 
"मुझे तुम पर बहुत गर्व है बेटा । भगवान सबको तुम जैसा बेटा दे । बेशक तुम नीलू को अपने घर शादी के बाद ले जाना मगर अभी तो "चिल" मारने ले जाओ" बांयी आंख दबाकर उसके पापा बोले । 
नीलू की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था । वह अपने पापा से लिपट गई । 
अगले महीने की 5 तारीख को दोनों का विवाह है । आप सब लोग जरूर जरूर आना विवाह में" 

श्रीहरि  
26.11.22 


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5 Comments

Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Jan-2023 09:15 PM

धन्यवाद जी

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Rajeev kumar jha

26-Nov-2022 02:12 PM

👏

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Hari Shanker Goyal "Hari"

26-Nov-2022 03:59 PM

🙏

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Abhinav ji

26-Nov-2022 07:54 AM

Very nice👍👍

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